Sawan 2025 कब से कब तक है?
श्रावण मास या सावन का महीना हिन्दू पंचांग का अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण समय माना जाता है। यह माह भगवान शिव की आराधना का विशेष काल है, जिसमें लाखों श्रद्धालु उपवास रखते हैं और विशेष पूजन करते हैं। वर्ष 2025 में सावन मास की शुरुआत और समाप्ति की तिथियाँ, सोमवार व्रत की विशेष जानकारी और पूजन विधि जानना हर शिव भक्त के लिए आवश्यक है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, Sawan 2025 श्रावण मास की शुरुआत:
- उत्तर भारत (पौर्णिमांत कैलेंडर):
👉 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार) से शुरू होकर
👉 09 अगस्त 2025 (शनिवार) को समाप्त होगा। - दक्षिण भारत (अमांत कैलेंडर):
👉 27 जुलाई 2025 से आरंभ होकर
👉 25 अगस्त 2025 को समाप्त होगा।
यह अंतर क्षेत्रीय पंचांग प्रणाली पर आधारित है। दोनों ही क्षेत्रों में सावन मास का महत्व समान होता है।

Sawan Somwar व्रत 2025 की तिथियाँ
सावन सोमवार का व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। 2025 में उत्तर भारत के अनुसार सोमवार व्रत की तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
| व्रत | तिथि |
|---|---|
| पहला सोमवार | 14 जुलाई 2025 |
| दूसरा सोमवार | 21 जुलाई 2025 |
| तीसरा सोमवार | 28 जुलाई 2025 |
| चौथा सोमवार | 4 अगस्त 2025 |
Sawan Puja Vidhi in Hindi (पूजन विधि)
भगवान शिव की पूजा सावन में विशेष रूप से रुद्राभिषेक एवं बिल्वपत्र अर्पण से की जाती है।
पूजन विधि:
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें।
- बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, आक, सफेद फूल चढ़ाएं।
- पंचामृत से रुद्राभिषेक करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- शाम को दीप जलाकर शिव आरती करें।
क्या न करें:
- तुलसी दल अर्पित न करें
- कभी भी नारियल शिवलिंग पर न फोड़े
- पूजा करते समय मांस, शराब का सेवन पूरी तरह वर्जित है
श्रावण मास का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने विषपान किया था, जिससे धरती पर जीवन बच सका। उन्होंने विष को अपने कंठ में धारण किया, तभी से उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा जाता है। शिव को इस कष्ट से राहत दिलाने हेतु देवों ने गंगाजल चढ़ाया, और वही परंपरा आज रुद्राभिषेक के रूप में की जाती है।
Sawan 2025 में होने वाले अन्य पर्व
Sawan 2025 में अनेक व्रत एवं त्यौहार भी आते हैं:
- हरियाली तीज – 15 जुलाई 2025
- नाग पंचमी – 18 जुलाई 2025
- मंगला गौरी व्रत – हर मंगलवार (15, 22, 29 जुलाई)
- रक्षा बंधन – 09 अगस्त 2025
Kanwar Yatra 2025 की जानकारी
Kanwar Yatra 2025 सावन मास के दौरान 11 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी। इसमें शिव भक्त जल लेकर पैदल चलते हुए निकटतम गंगा तट से जल भरकर शिव मंदिरों में अर्पण करते हैं।
सावन में धार्मिक यात्रा और तीर्थ स्नान का महत्व
श्रावण मास में गंगा स्नान, शिव धाम यात्रा, विशेष रूप से बारह ज्योतिर्लिंग में से किसी एक के दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। कांवड़ यात्रा, अमरनाथ यात्रा, उज्जैन महाकाल दर्शन, काशी विश्वनाथ यात्रा जैसे तीर्थ यात्राओं का भी यही काल होता है। इस समय किए गए पुण्य कार्यों का फल कई गुना अधिक मिलता है। यदि संभव हो तो इस पवित्र महीने में कम से कम एक बार तीर्थ स्नान या मंदिर दर्शन अवश्य करना चाहिए।
सावन में जाप और मंत्र साधना का महत्व
श्रावण मास को मंत्र सिद्धि के लिए भी विशेष काल माना गया है। इस समय में किया गया “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि सावन में शिव मंत्र के 1.25 लाख जाप से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र का जप भी स्वास्थ्य लाभ और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है। साधक प्रतिदिन प्रातः या संध्या काल में शांत मन से जाप करें और दीप प्रज्वलित कर वातावरण को पवित्र बनाएँ।
Sawan 2025 केवल एक धार्मिक मास नहीं बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और साधना का विशेष अवसर है। यदि आप विधिपूर्वक पूजन करते हैं और सोमवार व्रत रखते हैं, तो निश्चित रूप से भगवान शिव की कृपा आप पर बरसेगी।



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